पणमेशर ने रात बणा दी दिन की / मेहर सिंह
वार्ता- सज्जनों रानी अम्बली जब सौदागर को ठीक रास्ते पर लाने में अपने को असमर्थ पाती है तो वह उससे समय मांग लेती है क्योंकि उसे अपने पतिव्रता धर्म पर विश्वास था कि एक दिन उसका पति उसे अवश्य मिल जायेगा। उसका पति अगर न मिला तो वह उस की सेठानी बन जाएगी।
उधर राजा अम्ब को मछुआरे दरिया से निकाल लेते हैं। जब उसे होश आता है तो उससे उसके बारे में पूछते हैं तो राजा अम्ब क्या जवाब देते हैं-
के बुझोगे बात राहण दो मन की।
पणमेशर ने रात बणा दी दिन की।टेक
साधु जी नै राज मांग लिया मेरा
कर्या कुटुम्ब कबिला बाहर शहर तै मेरा
होणी नै कर्या उट मटीला मेरा
भठियारी नै लिया खोस वसीला मेरा
दुःख विपता मैं आंख ना खुलती तन की।
भठियारी घणी धोखे तै बतलाई
करे जुल्म डायन नै मेरी कुछ ना पार बसाई
उज्जैन शहर मैं लूट लिए मेरे भाई
रानी अम्बली टोहे तै ना पाई
दुःख विपता मैं पड़ै बिजली घन की।
नीर नै छोड़ कै जिब मैं उल्टा आया
दिया जल नै जोर मन्नै भी बहा ल्याया
मैं अपणे मन की बात कैहण ना पाया
कंठारे पै रही डोलती माया
बिछड़ चली दो चिड़िया रहैं थी बण की।
कंठारे पै क्यूकर सरली होगी
मेरी बदनामी सारे कै फिरली होगी
रानी अम्बली रो रो मरली होगी,
सरवर नीर कै मरे की जरली होगी
मेहर सिंह या बात रहै ना छन की।