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पतंगों का मौसम / शिव मृदुल

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मौसम आज पतंगों का है
नभ में राज पतंगों का है,
इंद्रधनुष के रंगों का है
मौसम नई उमंगों का है।

किनले सब ले डोर पतंगें।
सुंदर सी चौकोर पतंगे,
उड़ा रहे कर शोर पतंगें
नभ में गोताखोर पतंगें।

उड़े पतंगें बस्ती-बस्ती
कोई महँगी कोई सस्ती,
पर न किसी में फूट परस्ती,
उड़ा-उड़ा सब लेते मस्ती।

कुछ को लगती ‘नेट’ सरीखी
कुछ को ये ‘इन्सेट’ सरीखी,
कुछ को ये ‘राकेट’ सरीखी
कुछ को ‘सेबर जेट’ सरीखी।

चलें डोर पर बैठ पतंगें
इठलाती-सी ऐंठ पतंगें,
नभ में कर घुसपैठ पतंगें
करें ग्रहों से भेंट पतंगें।

मतवाली-सी झूम पतंगें
आसमान में घूम पतंगें,
चाँद-सितारे चूम पतंगें
मचा रही हैं धूम पतंगें।

हर टोली ले खड़ी पतंगें
कुछ छोटी, कुछ बड़ी पतंगें,
आसमान में अड़ी पतंगें
पेंच लड़ाने लड़ी पतंगें।

कुछ के छक्के छूट रहे हैं
कुछ के डोरे टूट रहे हैं,
मगर नहीं वे रूठ रहे हैं
कटी पतंगें लूट रहे हैं।