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पतंग / मनोज देपावत
Kavita Kosh से
धिन भाग है पतंग बणावणियै नै
धरती पर अेक चीज तो
ऐड़ी बणाई
जीं नै देख‘र नीचै आळा
घमंडीजै कै
ऊपर वाळै री डोर
नीचै वाळै रै हाथां में है।