पतझड़ का जब मौसम बीता / संकल्प शर्मा
पतझड़ का जब मौसम बीता
तुमको याद किया मैंने,
दिन गज़रा जब रीता-रीता,
तुमको याद किया मैंने।
जब दिल पर दस्तक होती थी,
ऐसा लगता था तुम आए,
फिर दिल को समझा देते थे,
धुंधली सी यादों के साए।
तन्हाई से जब की बातें,
तुमको याद किया मैंने,
और कटी जब तनहा रातें,
तुमको याद किया मैंने।
और कहें अब कैसे तुमसे,
अपने पागल दिल की हालत।
जिसने इसको कभी न समझा,
बस उसकी करता है चाहत।
जब दिल के अन्दर कुछ टूटा,
तुमको याद किया मैंने।
अपनों से जब अपना छूटा ,
तुमको याद किया मैंने।
आने वाला हर एक मौसम,
जाने वाला हर एक मौसम,
जाने क्या लेकर आएगा,
देकर जाएगा कितने ग़म।
फूलों को जब देखा गुमसुम,
तुमको याद किया मैंने।
याद आए मुझको हर लम्हा तुम,
तुमको याद किया मैंने।