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पतियारो / नीरज दइया
Kavita Kosh से
दीठ रो कांई है
देखण मांय तो
आपां सगळां खातर
आ दुनिया है-
एक सरीखी
जीवण-जुद्ध नै देख
थूं पाळै आस जीतण री
अर म्हैं जुद्ध सूं पैली ई’ज
पड़ जावूं काचो!
म्हनै ई देखणा है
इण बेरंग लखावती
दुनिया रा रंग
अर इण सारू
बपराणी है म्हनै
एक सांवठी दीठ