पति क्यो बैठया उदास रात दिन / निमाड़ी
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पति क्यो बैठया उदास रात दिन
कई देवो दिल की बात
(१) पति कहे तीरीया से,
तुमको कभी नई कण
तीरीया मन में कभी नही राखे
या खोटी तीरीया की जात...
रात दिन...
(२) हट पड़ी तीरीया नही माने,
अंन जरा नही खाये
सब तीरीया काई सार की
कब कई दिल की बात...
रात दिन...
(३) मणीया बाद भाई गयो रे बाद म,
नही कोई संग सगाली
म्हारा मन म ऐसी आवे
वा करी कृष्ण न घात...
रात दिन...
(४) इतनी बात सुणी तीरीया न,
रात को नींद नी आई
सोचत सोचत रैन गवाई
फिरी हुयो परभात...
रात दिन...
(५) घर को धंधो सबई छोड़यो,
दबड़ी न पनघट आई
सब सखीयाँ तो बराबरी
वहाँ कही दिल की बात...
रात दिन...
(६) तुक देखी न मन बात कई,
तु मती कोई क कैसे
कान कान बा बात चली रे
वा गई कृष्ण का पास...
रात दिन...