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पत्ती पत्ती ने एहतराम किया / राजेंद्र नाथ 'रहबर'

पत्ती पत्ती ने एहतराम<ref>सम्मान</ref>किया
झुक के हर शाख़ ने सलाम किया
बढ़ के फूलों ने पांव चूम लिये
तुम ने जब बाग़ में ख़िराम<ref>टहल कदमी</ref> किया।

शब्दार्थ
<references/>