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पत्थरों में खौफ़ का मंज़र भरे बैठे हैं हम / वीनस केसरी
Kavita Kosh से
पत्थरों में खौफ़ का मंज़र भरे बैठे हैं हम।
आईना हैं, खुद में अब पत्थर भरे बैठे हैं हम।
हम अकेले ही सफ़र में चल पड़ें तो फ़िक्र क्या,
अपनी नज़रों में कई लश्कर भेरे बैठे हैं हम।
जौहरी होने की ख़ुशफ़हमी का ये अंजाम है,
अपनी मुट्ठी में फ़कत पत्थर भरे बैठे हैं हम।
लाडला तो चाहता है जेब में टॉफी मिले,
अपनी सारी जेबों में दफ़्तर भरे बैठे हैं हम।
हमने अपनी शख्सियत बाहर से चमकाई मगर,
इक अँधेरा आज भी अन्दर भरे बैठे हैं हम।