तख्त ताज़ सब इस जमीं पर रह जायेंगे 
पत्थर मील के अनकही दास्ताँ कह जाएँगे। 
हुई जो आँखें बंद, दुनिया हमें भुला देगी 
अश्क आँखों के कुछ दिन ज़रूर बह जाएँगे। 
बोले हैं मीठे बोल हमने यहाँ इक दूसरे से 
बाद हमारे केवल वही तो यहाँ रह जाएँगे। 
ऊँचे महल चौबारे बनवाए यहाँ कितनों ने 
संग लहरों के वे भी इक दिन ढह जाएँगे। 
दिए जा रहे हैं दर्द हमको अपने ही बेशुमार 
आखिरी दम तलक सभी हम सह जाएँगे। 
बोले हैं मीठे बोल जो यहाँ इक दूसरे से 
बाद हमारे केवल वही तो बस रह जाएँगे।