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पत्थर से लम्स फूल से खुशबू निकाल दे / तलअत इरफ़ानी
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पत्थर से लम्स फूल से खुशबू निकाल दे
बाकी जो कुछ बचे वो मेरे नाम डाल दे
क्या फ़र्क पानियों में है इसका न रख ख़याल
दरिया की नेकियों को समंदर में डाल दे
सम्तों के रुख पलट के सितारों से बात कर
तिरछा पड़े जवाब तो सीधा सवाल दे
नारा बना खड़ा हूँ मैं कब से ज़मीर का
कोई मुझे भी आके हवा में उछाल दे
बुकशेल्फ़ से कमीज़ का रिश्ता तुझे बताएं
लेकिन ज़रा गले से तू टाई निकाल दे
पूछे जो कोई कौन है तलअत जुबां न खोल
मिटटी ज़रा-सी ले के हवा में उछाल दे