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पत्थर / शम्भु बादल
Kavita Kosh से
वह पत्थर पूजता है
मोम नहीं
इसलिए कि अन्दर का मोम
पिघले नहीं
पत्थर बने
और वह
शिकार खेलता रहे
इसी वन में