भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पत्थर / हावियर हिरॉद / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
ठण्डे पत्थर
सोलेम पत्थर
अगर तुम बोल सकते हो
मेरी तरफ़ से
अगर तुम गा सकते हो
अपनी ढलान पर
अगर तुम अपना जीवन
एक चौड़ी नदी के बीच में गँवाने को तैयार हो
अगर तुम सारी दुनिया के लिए
शान्ति लाना चाहते हो
अगर तुम
स्वच्छ जल में डूबने के लिए तैयार हो
तो तुम्हारी आत्मा
मेरे भीतर होगी
चाहे काला अन्धेरा ही
सामने क्यों न हो
मेरे सफ़ेद हो रहे बाल
तुम्हें अपनी बाँहों में भर लेंगे
मूल स्पानी से अनुवाद : अनिल जनविजय