पदार्थों के अर्थ-पद / दिनेश कुमार शुक्ल
पदार्थों के अर्थ-पद
कोयले से बनता है हीरा
और कोयला
आदमी से भी बनाया जा सकता है
कोयला पदार्थ की एक अवस्था है
आदमी और हीरे के बीच
अवस्था कोई भी हो
वह एक स्थान है
दृश्यों के लोक में
जहाँ आप समय की धारा से
बाहर निकलकर
आ बैठते हैं कभी-कभी
एक तट है वह जगह
जहाँ कपड़े सुखाने से लेकर
बालू में लेटने और बालू बन जाने तक
का कोई भी उद्यम कर सकते हैं आप
आप भी एक अवस्था हैं पदार्थ की
एक तट हैं
एक आयतन हैं आप इस दृश्य-लोक में
जहाँ अगणित रंगों की
कोमल रेशमी लपटों में खेलती रहती है आग
बहुत छोटा आयतन, बहुत ताप
बहुत-बहुत दबाव
ऐसी अवस्था में ही बनते हैं हीरे
मैं सच कह रहा हूँ और सिर्फ भाषा में नहीं
कि आप की देह में भी मौजूद हैं हीरे
और सोना और कोयला और लोहा
और संखिया, निकिल, कोबाल्ट,
यूरेनियम...
देख रहा हूँ
आप कुछ ठीक से बैठ नहीं पा रहे,
शायद यूरेनियम की बात सुनकर
परमाणु करार
और अपने ऊतकों के बीच के
रक्त सम्बन्ध की हरारत से
डर रहे हैं आप
डरना नहीं चाहिए यूँ तो
लेकिन कभी-कभी वाजिब हो जाता है डरना।