भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पद / 3 / राजरानी देवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किंसुक गुलाब कचनार और अनारन के,
बिकसे प्रसूनन मलिन्द छबि धावै री।
बेली बाग बीथिन बसंत की बहारैं देखि,
‘राम प्रिया’ सियाराम सुख उपजावै री॥
जनक-किशोरी युगकर तें गुलाल रोरी,
कीन्हे बरजोरी प्यारे मुख पै लगावै री।
मानों रूप-सर ते निकसि अरविन्द युग,
निकसि मयंक मकरंद धरि लावै री॥