भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पद / 7 / चन्द्रकला

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नटवर वेष साजि मदन लजाने लाल,
मन हरि लीनो हाल नारिन के जाल को।
अमित स्वरूप धारि नखसिख सोभा सानी,
राख्यो गहि हाथ हाथ भिन्न भिन्न बाल को॥
‘चन्द्रकला’ गाय गीत अमत सनेह सने,
बरनत नारदादि जस जनपाल को।
सुमन समूह बरसावत बिमान चढ़े,
देखि देखि देव रासमण्डल गोपाल को॥