पद 21 से 30 / कन्हैया लाल सेठिया
21.
फिरै बिसोरा भाजता
जाबक सीधी भींत,
काळ कियां कद पूगसी
सकै नहीं भख चींत ?
22.
मोमाख्यां मैनत करी
छातै संच्यो सैद,
ओखद रो अनुपान लिख
पुरच्यो देवै बैद !
23.
सींचै जीवण रूंख नै
राखै घणी संभाळ,
फळसी तीतो मरण फळ
जद आसी रिजुकाळ !
24.
फूंक बजावै बंसरी
तबलो चावै थाप,
पाणी में बिगसै कंवळ
दिवलो मांगै ताप !
25.
फूल मूल सागै बंध्यो
पण हैं मुगत सुवास,
मरजादा बाधा नहीं
सीळ धरम परगास !
26.
बिणजै सांसां बगत रो
बिणजारो हुंस्यार,
जोख्यूं जोगी नै दियां
भोगी साहुकार !
27.
घर स्यूं निकळी कर मतो
प्रीत थकी पड़ोस,
बेगी हुई तिसायली
चाली कोनी कोस !
28.
ना’र धडूकै रीस कर
छतरी ताणै मोर,
करै मेघ री गाज रो
अरथ और रो और ?
29.
राखै कोईसो’क ही
मन मे मन री बाफ,
तप लाग्यो जद फाटगी
फट पूड़ी री राफ !
30.
क्यां नै रोसै जीव नै
बन्द पींजरो खोल,
मीठा लागै बोल तो
निज में मिठो बोल।