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पद 31 से 40 / कन्हैया लाल सेठिया

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31.
नैणा आगै नित रही
रूप रंग री भीड़,
ओळख शब्द अरूप नै
मैं परणाई पीड़ !

32
दिन दापरां नेह दे
करयो अणूंतो लाड,
ठग दीवै नै कामणी
काजळ लियो उपाड़ !

33.
बावै कोई और है
लाटै कोई और,
खावै कोई और है
दाणैं दाणैं मो’र !

34.
बवै पुन जोर स्यूं
बादळियां रा लोर,
छियां हुवै पण कद हुवै
खांडी सूरज कोर ?

35.
जाग्यो काची नींद स्यूं
टळगी पाकी मौत,
सपनूं देतो साच री
बुझा जागती जोत !

36.
अनुकंपा जड़ मूळ हैं
अनेकांत है फूल,
मै’क सांस में, नाक में
समझै दिसटी थूळ !

37.
भेळा पुदगळ चेजणा
बीं रो जीवण नांव,
मरणो बो जद बै टुरै
आप आप रै गांव !

38.
पड़ी गगन स्यूं समद में
समद हुई तत्काळ,
‘मै’ जद छूटयो छांट स्यूं
छांट हुई झट न्याल !

39.
नान्हीं निमळी माछली
मोटो समद अथाग,
आंख हुवै जे प्रीत रै
छळै न कोयल काग ?

40.
चाकी धाणा पीसती
स्यावै मती अबार,
पिसतावैली काळजै
टांचा पड़ती बार !