पद 61 से 70 / कन्हैया लाल सेठिया
61.
मास बरस दिन रैण री
करै कळपना जीव,
काळ मपीजै जे हुवै
आभै री कीं सींव !
62.
पग जै मारग में बगै
कांई सूण कुसूण ?
मजळ मिलै, कोनी मिलै
अती कर सकै हूण !
63.
सूरज बिचरै एकलो
तारा बांध्यां गोळ,
रोज अंधेरो खोल दै
घण जीतै री पोल !
64.
लौ में रळ काजळ बण्यो
मन मैलो काळूंठ,
पकड़ साच चालै सदा
साव पांगली झूठ !
65.
जो रंग चितराम रा
चैरा रवै न चीत,
पीढी पीढी चालसी
उतर गळै में गीत !
66.
आंसू झर नीचै पड़ै
राग रमै गिगनार,
सागो माटी पीड़ रो
सुख मतलब रो यार !
67.
निदरोही रा रूंखड़ा
चूकी दीठ कुँआड़,
ऊझड़ बगती मौत नै
पण के कवै उजाड़ ?
68.
पैली मरणो मांडसी
बो बासी तरवार,
नहीं कदेई हींजड़ा
लूंटी सूणी कतार ?
69.
काया ऊपर मांडणां
मिनख भलांई मांड,
पण दरपण कोनी बणै
थारै लारै भांड !
70.
रूम एकसो पण हुवै
गुव रै गैल निदान,
मांदै रै पथ मूंग है
मोठ ऊट रो खाण !