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पधरावणी / चंद्रप्रकाश देवल
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कदैई आळस मरोड़ती
आंगळियां रा कटका काढती अजेज
आंख सूं मुळक लेवै थूं
अेक जांण्या-पतवांण्या
नित रा जंजाळ री बरसाळी में
हंसी हेरतौ खोवाय जावूं म्हैं
सांनी में रोवती डुसकै
म्हारी आतमा
मनोमन अेकधार उडीकै
प्रीत री पधरावणी।