पनिया ले आवे गइलीं पकवा इनरवा
से फूटि गइले
दीनानाथ मोर घरिलवा, से फूटि गइले।
सासु मोरा मारे काँचे बाँस के कइनिया
पोरे-पोरे टीसे
दीनानाथ ई दरदिया, पोरे-पोरे टीसे।
छोटकी गोतिनिया धइली बाँझिनि के नउँवा
से कइसे जीहीं
दीनानाथ ई जिनिगिया, से कइसे जीहीं।
अतना बचन जब सुनले अदितमल
से लोर पोंछेले
तिवई अब नाहीं रोइबू, से लोर पोंछेले।
जइसे के तिवई हमके मन से गोहरवलू
से गोदिया भरिहें
हमरे अइसन बलकवा से गोदिया भरिहें।