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पपीहा रे पीऊ की बोली ना सुनाव / महेन्द्र मिश्र

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पपीहा रे पीऊ की बोली ना सुनाव।
मेरो पिया परदेस गए हैं ओही देस में जाव। पपीहा रे।
आधी-आधी रतिया पिछली पहरिया।
सोवत नीन्द ना जगाव। पपीहा रे।
द्विज महेन्द्र विरहा की मारी
नाहीं जले को जलाव। पपीहा रे।