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परंपरा / रवि पुरोहित
Kavita Kosh से
पगडंडी से निकली-
एक पगडंडी
और थोड़ी दूर चलकर
वह मिल गई
आम रास्ते में !
लोगों ने कहा-
समझदार थी बेचारी ।
राजस्थानी से अनुवाद: स्वयं कवि द्वारा