परखचे अपने उड़ाना दोस्तो आसां नहीं / प्राण शर्मा
परखचे अपने उड़ाना दोस्तो आसाँ नहीं
आपबीती को सुनाना दोस्तो आसाँ नहीं
ख़ूबियाँ अपनी गिनाते तुम रहो यूँ ही सभी
ख़ामियां अपनी गिनाना दोस्तो आसाँ नहीं
देखने में लगता है यह हल्का-फुल्का सा मगर
बोझ जीवन का उठाना दोस्तों आसाँ नहीं
रूठी दादी को मनाना माना कि आसान है
रूठे पोते को मनाना दोस्तो आसाँ नहीं
तुम भले ही मुस्कुराओ साथ बच्चों के मगर
बच्चों जैसा मुस्कुराना दोस्तो आसाँ नहीं
दोस्ती कर लो भले ही हर किसी से शौक से
दोस्ती सब से निभाना दोस्तो आसाँ नहीं
आँधी के जैसे बहो या बिजली के जैसे गिरो
होश हर इक के उड़ाना दोस्तो आसाँ नहीं
कोई पथरीली ज़मीं होती तो उग आती मगर
घास बालू में उगाना दोस्तो आसाँ नहीं
एक तो है तेज़ पानी और उस पर बारिशें
नाव काग़ज़ की बहाना दोस्तो आसाँ नहीं
आदमी बनना है तो कुछ ख़ूबियाँ पैदा करो
आदमी ख़ुद को बनाना दोस्तों आसाँ नहीं