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परछाईं / कैत्रिओना नी क्लेअरचिन / राजेश चन्द्र
Kavita Kosh से
कवि नहीं हूँ मैं
मात्र एक परछाईं
दिवसों और गलियों से गुज़रती
निर्वाक और निश्शब्द
एक हवा
शाम की
सौम्य और शान्त
एक रोशनी बची-खुची दिनान्त की
बारिश की बूँदें गिरतीं चुपचाप जो
कवि नहीं हूँ मैं, मात्र एक परछाईं
नृत्यरत किसी भीत पर
अगिनरात्रि में
समेटती हुई रहस्यों को
इससे पहले कि भाग जाएँ शब्द
संगीत से रहित मेरे हृदय से
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र