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परथम गनेस पद बंदि के, कुसल मनावहु हे / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

परथम गनेस पद बंदि के, कुसल मनावहु हे।
ललना, बिघन हरन गननायक, सोहर गावहु हे॥1॥
परथम मास जब बीतल<ref>बीत गया</ref>, दोसर नियरायल<ref>नजदीक आया</ref> हे।
ललना, तेसर मास जब आयल, चित फरियाल<ref>मिचली आना</ref> हे॥2॥
चउठा मास चढ़ि आयल, पचमा बितिये<ref>बीत गया</ref> गेल हे।
ललना, छठे मास निरायल, गरम जनायल<ref>मालूम पड़ने लगा</ref> हे॥3॥
सतमा मास जब आयल, अठमा नियरायल हे।
ललना, नवमा मास जब आयल, होरिला<ref>लड़का</ref> जलम<ref>जन्म</ref> भेल हे॥4॥
भादो के रइनी<ref>रात</ref> भेयामन,<ref>भयावनी</ref> बिजुली चमक उठे हे।
ललना, तेहि छन परगटे नंदलाल, महल उठे सोहर हे॥5॥
चन्नन लकड़ी कटायम<ref>कटवाऊँगी</ref>, मंगल गायम<ref>गाऊँगी</ref> हे।
ललना, अरबे<ref>अरब की संख्या में</ref> से दरबे<ref>द्रव्य</ref> लुटायम, सभ सुख पायम<ref>पाऊँगी</ref> हे॥6॥
सासु के देम<ref>दूँगी</ref> तीसी तेलवा, ननद केरा गड़ी<ref>नारियल</ref> तेल हे।
गोतनी के तेल-फुलेत, गोतिनियाँ के देल-लेल<ref>देना-लेना</ref> हे॥7॥
सासु के देम खटोलवा<ref>छोटी खाट</ref>, ननदी मचोला<ref>मचिया</ref> देम हे।
ललना, गोतनी के लाल पलँगिया, हमहुँ पइँचा<ref>पेंचा-हथफेर</ref> लेम<ref>लूँगी</ref> हे॥8॥
सासु के देम इयरि-पियरि<ref>पीले रंग में रंगे वस्त्र</ref> ननदिया के साड़ी देम हे।
ललना, गोतनी के लहँगा-पटोर<ref>गोटा-पाटा से जड़ा हुआ रेशमी लहँगा</ref>, हमहुँ कबहुँ<ref>कभी</ref> पइँचा लेम हे॥9॥

शब्दार्थ
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