भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

परदेसिया के नारि सदा दुखिया / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

परदेसिया के नारि सदा दुखिया, परदेशिया
चारि महीना के गरमी लगतु हैं
कहियो ने सुतलौं डोला के बेनिया, परदेशिया
चरि महीना बुन्द पड़तु हैं
कहियो ने सुतलौं छेबा के बंगला, परदेशिया
चारि महीना जाड़ लगतु हैं
कहियो ने सुतलौं भरा के सिरका
परदेसिया के नारि सदा दुखिया, परदेशिया