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परदै माथै रामजी / सांवर दइया
Kavita Kosh से
जद सूं
आवण लाग्या है
परदै माथै रामजी
आठ सूं साठ तांई
सगळां नै
उणा सूं ई काम जी
थारी-म्हारी सुख-सीता नै
दाब्यां बैठा है
घर-घर छोटा-मोटा रावण
पण
उणानै मारणिया राम कठै ?
जद परदै माथै आवै राम जी
घर-गळी-गांव-शहर रा
रावण नमावै शीश –
थे हो म्हारां रामजी !
म्हांरा व्हाला रामजी !
म्हारां रूखाळा रामजी !
नित आया करो रामजी !
जय हो थांरी रामजी !!