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परवाज़ / कमलेश कमल
Kavita Kosh से
मन रे!
धीर रख
मत हो निराश
मत हो हताश!
यह समय भी बीतेगा
कहते हैं न विज्ञ जन
कि कठिन समय नहीं टिकता
मजबूत लोग टिकते हैं।
मत रुको...
बस चलो
बनो अथक योध्दा
बाधाएँ हैं...
पर तुमसे बड़ी नहीं
उनकी क्या विसात
जो रोकें तुम्हारा रास्ता
संचित कर सारी उर्जा
और एक चट्टानी हौसला
खोलो पंखों को
परवाज़ के लिये
करो यकीं
कि पूरा ब्रह्मांड
है जुगत में
कि तुम सफल हो...
तुम्हारी जय हो!
तुम्हारी जय हो!
तुम्हारी जय हो!