पराजित हूँ मैं / सजीव सारथी
पराजित हूँ मैं,
हाँ, पराजित हूँ मैं
मेरा रथ ही तो दलदल में,
फंसाया था तुमने,
मेरा वध ही तो छल से,
कराया था तुमने,
मुझको ही तो चक्रव्यूह में,
घेरा था तुमने,
मुझको ही तो तीरों से छलनी,
किया था तुमने,
पराजित हूँ मैं,
हाँ, पराजित हूँ मैं
मेरा ही तो सदियों से संहार कर,
चढ़ाते रहे तुम बलि देवता को,
मेरे बदन को ही तो राख़ कर,
जलाई है तुमने चिता चेतना की,
पराजित हूँ मैं,
हाँ, पराजित हूँ मैं
मुझको ही तो धूरी बनाकर,
इतिहास सारा रचा है तुमने,
मुझको ही तो बल बनाकर,
लाशों के मलबे सजाये हैं तुमने,
पराजित हूँ मैं,
हाँ, पराजित हूँ मैं
मुझको ही तो झोंककर युद्ध की भट्टी में,
आरमान बुझा रहे हो तुम,
मुझको ही तो ढाल बनाकर आखिर,
तलवार चला रहे हो तुम,
जन्मों से जी रहा हूँ इस संग्राम को मैं,
लहू से अपने भडका रहा हूँ इस आग को मैं,
थक चुका हूँ, चूक चुका हूँ,
खुद को बहुत फूंक चुका हूँ,
जीता हो चाहे सच कभी,
या झुका हो किसी का अहम् कभी,
मेरी परिणति रही,
पराजय सदा,
पराजय सदा,
पराजित हूँ मैं,
हाँ, पराजित हूँ मैं