भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पराथना / दुष्यन्त जोशी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुसाणां में
लकड़ी बेचणआळौ
दिनुगै-दिनुगै रोजिना
करै भगवान सूं पराथना
अर धूप-ध्यान

हे भगवान
थूं मन्नै
कदी नां रैह्वण देई
फक्कड़
अर
चटकै-चटकै बिका
अै लक्कड़।