भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पराया कौन है और कौन है अपना सिखाया है / गरिमा सक्सेना
Kavita Kosh से
पराया कौन है और कौन है अपना सिखाया है
हरेक ठोकर ने हमको सोचकर बढ़ना सिखाया है
नहीं हम हार मानेंगे भले हों मुश्किलें कितनी
चिराग़ों ने हवाओं से हमें लड़ना सिखाया है
वही है चाहता हम झूठ उसके वास्ते बोलें
हमेशा हमको जिसने सच को सच कहना सिखाया है
बहुत तड़पा है दिल उनकी अजब-सी देखकर फ़ित्रत
जो अब हैं मारते ठोकर जिन्हें चलना सिखाया है
हमें कमज़ोर मत समझो, बहुत-कुछ झेल सकते हैं
हमें हालात ने हर ज़ख़्म को सहना सिखाया है
वो पत्थर रेत बन बैठे समन्दर तक पहुँचने में
नदी ने जब उन्हें 'गरिमा' ज़रा बहना सिखाया है