भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

परिचय पात / कालीकान्त झा ‘बूच’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जुनि पुछू परिचय पात सखे
वरू रहल संग किछु रातुक विच,
उठि चलव कि हएत परात सखे
दू क्षणक लेल वट-विटप वास,
जुनि लगबू पथ संपर्क सेज
ओम्हर देखी हासे विलास
एम्हर कॉपय रहि रहि करेज
कानय विषाद लग परवशता
आजुक ई अमानत गात सखे
हम जएव अपना पतिक गाम,
अछि पएर पड़ल कर्तव्य बंध
ऑखिक आगॉ झलफल अन्हार
पुनि बधिर बनल दुहू कर्ण रन्घ्र
धुरि जाउ अहॉ अनचिन्ह जकॉ,
अछि सजग कहरिया सात सखे
ओम्हर लागल मोनक पियास
एम्हर उमड़ल अछि नयन नोर,
अपनेक तालु ग्रीष्मक अकाश,
पावसक धरातल हमर ठोर
अछि अहँक दृष्टि मे दाह मुदा ई
लोचन द्वय स्नात सखे
वासना पिशाचक युगल वाहु,
बढ़ि चलल बनाब' प्रबल पाश
जएतनि शुचिताक कंठ दवा,
भ‘ जएत प्रेमक सर्वनाश
बहि गेली देवसरि विचोवीच
हम दुनू छी दू कात सखे