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परिभाषा / रामशंकर मिश्र 'पंकज'
Kavita Kosh से
दुनियाँ फटलोॅ ओछानक लब्बोॅ खोल छिकोॅ ।
उमर कै लीटर पेट्रोल छिकोॅ ।
शरीर कुइयाँक एकटा दोल छिकोॅ ।
आवश्यकता कुकरोॅ के बड़का घोल छिकोॅ ।
रिश्ता दू टा बनियाँ के मोल छिकोॅ ।
आशा देबालोॅ के लटकलोॅ झोल छिकोॅ ।
धरम एक जुगोॅ के बजैलोॅ ढोल छिकोॅ ।
परंपरा एक जूता के घिसलोॅ सोल छिकोॅ ।
मरण एकटा कुलकुलोॅ ओल छिकोॅ ।
जीवन एकटा मीट्ठोॅ बोल छिकोॅ ।