भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
परिवर्तन / रतन सिंह ढिल्लों
Kavita Kosh से
कोई ज़माना था
जब बच्चे
गाँव में आई
किसी जीप, कार या बस के
पीछे भागते थे
लटकते थे, झूटे लेते थे
आज का ज़माना है
कि जीप की आवाज़ सुनते ही
बच्चे दरवाज़े के पीछे छिप जाते है
माँ की आँचल में छिप जाते हैं
चूहों की तरह दुबक जाते हैं
और
जीपों के चले जाने के बाद
बस सिसकियाँ भरते हैं ।
मूल पंजाबी से अनुवाद : अर्जुन निराला