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परिवर्तन / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
उम्मीद और
नाउम्मीद के बीच
जो कुछ भी था
धंस गया
संशय के दलदल में
विष्वास की
नन्हीं गौरया को
लील गया कुछ ३
अपरिवर्तित है दिनचर्या
फिर भी
सब कुछ बदल गया है