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पर्यटन / गिरिराज किराडू
Kavita Kosh से
(अल्लाह जिलाई बाई के नाम, माफ़ी के साथ)
अब यह स्वांग ही करना होगा, अच्छे मेज़बान होने का
– अलंकारों के मारे और क्या कर पायेंगे –
तुम्हारे जीवन में एक वाक्य ढूँढ रहे हैं दीवाने
उद्धरण के लिए हत्या भी कर सकते हैं, इन्हें मीठी छाछ पिलाओ
बिस्तरा लगाओ
कोई धुन बजाओ
राम राम करके सुबह लाओ
ठीक से उठना सुबह खाट से
घर तक आ गई है खेत की बरबादी
ऊपर के कमरे में चल रहा
सतरह लड़कों दो लड़कियों का फोकटिया इस्कूल
अऊत मास्टर के अऊत चेले
अऊत क्लास में हर स्लेट पे
" पधारो म्हारे देस "