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पर्याय / नागराज मंजुले / टीकम शेखावत

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मैंने खोजना चाहा पर्याय प्रेमिका का
और मैंने खोजना चाहा पर्याय माँ का
मैंने खोजना चाहा पर्याय अकेले ही भटकते रहने का
दारुण दुख का और निर्दयी ख़ालीपन का
मैंने खोजना चाहा पर्याय अकेले में आँसू बहाने का

मैंने लोगो के बीच घुलमिल कर रहा
दोस्त बनाए
आदतें बदल के देखी
और बदला समय सोने-जागने का

मैंने खुद को डुबो के देखा शराब के प्याले में
कई सारे व्यसन कर के देखे
छान दिए प्रदेश
भटकता रहा अच्छी-बुरी गलियों में
या जो भी मिली
उस किताब के पन्ने-पन्ने छान दिए प्रेम से

मैंने समा कर देखा आत्मीयता से
हर तरह के व्यक्ति के भीतर
फ़िर भी नहीं मिला
मेरे काँटों भरे जीवन का पर्याय

मैंने जी कर देखा
मैंने मर कर देखा
मेरे जीने मरने का नहीं है
कविता के सिवा और कोई पर्याय

मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत