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पर्यावरण दूषित कैन्हें छै / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'
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पर्यावरण दूषित कैन्हें छै
गाछ काटै में मोॅन लगै छै
गाछ लगाय में भीड़ पडै़ छै
लकड़ी जराय में मोॅन लगै छै
घातक धुआँ सें सड़को भरलोॅ
सबकेॅ चलै में मोॅन लगै छै
गंदा नाला गंगा गिरै छै
जोॅल पीयै में मौन लगै छै
होटल-गुमटी बाजा बजै छै
सबकेॅ सुनै में मोॅन जगै छै।