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पर्यावरण धरोहर / एक बूँद हम / मनोज जैन 'मधुर'
Kavita Kosh से
वृक्ष लगाकर इस धरती को
आओ स्वर्ग बनाएं
हरा भरा सोना है जंगल
इसे न हरगिज काटें
कॉेक्रीट का जाल बिछाकर
नहीं धरा को पाटें
ये तो शिव का वह स्वरूप जो
हरते सदा अमंगल
स्वच्छ हवा औ‘वर्षा का जल
देते हमको जंगल
करते जो खिलवाड़ प्रकृति से
उनको सबक सिखाएँ
नदियाँे, ताल, नहर, बाँधों को
मिलकर स्वच्छ बनाना
जल है प्राणाधार हमारा
मिलकर इसे बचाना
रहे प्रदूषण मुक्त धरा यह
और गगन यह अपना
रोग रहित जीवन जीने का
बीड़ा चलो उठाएँ
समझें मित्र प्रकृति को अपना
इसका रूप मनोहर
आने वाली नस्लों की है
पर्यावरण धरोहर
जल में, थल में, नभ में देखें
कई जीव हैं ऐसे
संख्या बल में बहुत विरल हैं
या विलुप्त हैं जैसे
होत हुए विलुप्त प्राणियों
का जीवन सरसाएँ