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पर्यावरण / बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा ‘बिन्दु’
Kavita Kosh से
हरे पेड़ जो एक तुम काटे
हत्या करके जुल्म ही बाटे।
लाखो पेड़ रोज हैं कटते
सौंदर्य वन का ऐसे घटते।।
पर्यावरण को आप बचाओ
हर कोई एक पेड़ लगाओ।
जल पवन वन उपवन सोना
मंहगा कितना इसको खोना।।
आओ अब इतिहास को देखें
उस सुंदर मधुमास को देखें ।
हम अब काहे भटक गये हैं
करना क्या प्रयास को देखें।।
मौशम का बदला मिजाज है
टूटता हिमगिरि का ताज है ।
धू – धू कर सूरज है जलता
जल स्तर हुआ मोहताज है।।
चिंतन इसकी बहुत जरूरी
यह समझो सबकी मजबूरी।
पर्यावरण और यह प्रदूषण
मन से समझें इसको पूरी।।
कुछ तो अपना फर्ज निभाओ
अपने जनम का कर्ज निभाओ ।
प्रकृति छटा को नष्ट न करना
धर्म को अपने भ्रष्ट न करना।।