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पर्यावरण / संगीता कुजारा टाक
Kavita Kosh से
कल मैं बीज था
फिर मैंने मिट्टी का साथ पाया
मुझसे अंकुर फूटा
बारिश ने
अपना आशीर्वाद बरसाया
मैं पौधा बन गया
फिर मुझे
धूप ने खाना दिया
मैं पेड़ हो गया
अब उनके एक हाथ में आरी है
दूसरे हाथ में मेरा बदन..