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पर पहले हम हिंदुस्तानी / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
केरल से आया नटराजन
मगर रजिंदर है पंजाबी,
गुजराती हैं मानिक भाई
पर दिल्ली की सीमा भाभी।
कोई तमिल बोलता, कोई
कन्नड़, असमी या बंगाली,
यह गोवा, वह मुंबई वाला
पर बगिया के हम सब माली।
भेदभाव सब ऊपर के हैं,
क्यों इनसे हम परेशान हों?
पहनें धोती या पतलून
रहें दीव या देहरादून,
पर पहले हम हिंदुस्तानी!
उसने पहना भारी पग्गड़
पहनी इसने टोपी बाँकी,
और किसी का बड़ा दुशाला
जिस पर रंग-बिरंगी झाँकी।
चुस्त शेरवानी असलम की
काका पहने नया अँगरखा,
चाची को साड़ी फबती है
सुंदर लहँगा पहने बरखा।
पर ये ऊपर की पहचानें
भीतर दिल में यदि हम झाँकें,
तो कोई चुप-चुप कहता है,
भेदभाव ये ऊपर के हैं,
पर पहले हम हिंदुस्तानी!