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पलकों में छिप जाते आँसू / प्रेमलता त्रिपाठी
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जहाँ प्यार छलकाते आँसू ।
ममता वहीं लुटाते आँसू ।।
नयनों की है अकथ कहानी ।
नाते सभी निभाते आँसू ।।
बचपन से नटखट भी होते ।
हँसते और हँसाते आँसू ।।
कटुता पटुता दोनों इनमें ।
माया जाल बिछाते आँसू ।।
करुणा सोती सदा हृदय में ।
आखर सरस सजाते आँसू ।।
नम नयना बन काजल बहते
पलकों में छिप जाते आँसू ।।
व्यथा सहज यह कह जाते हैं ।
मन की बात पढ़ाते आँसू ।।
वाणी से आहत हो जब मन
प्रेम न थिर रह पाते आँसू ।।