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पलायन / संतोष कुमार

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बाढ़, सुखाढ़ आ रोटी
अजबे रिश्ता बा इनके
जवन खरका देलख
खरई खरई
जीये के विश्वास
साथे रहे के आस
धकेल देलस / दउरत रेल के डिब्बा में
जहवां न बइठे क जगहे
न साँस लेवे के साँस
ऊँघत / जागत / दू-दू रत के
आँखिन में काटत
जहवां कोई नइखे आपन
बा त एगो टूटल सपना
सहारा बा
उहो बालू के भीत नियन
गरीबी के तराजू में
एक ओरी भूख
दुसर ओरी निराशा
बिच में दू गो लइकन के
सुसकत आँख
दूध क तरसत ओठ
बुढ माई बाबु
अ अदद बीबी
उहो टी. बी. के शिकार
बीमार / लाचार / जियल दुश्वार

इ जिनिगी के भीरी
पलायन के अलावा
कवन चारा बा?