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पवन भूप नै बान बैठा कै नायण नुहावण लागी / मेहर सिंह

महेन्द्रपुर नगरी में राजा महेन्द्र सिंह राज किया करते थे। उन की रानी का नाम हृदवेगा था। उनके घर में एक कन्या ने जन्म लिया जिस का नाम अंजना रखा गया। अंजना जवान हो गई वह अत्यन्त सुन्दर थी।

दूसरी ओर रत्नपुरी नगरी में राजा विद्यासागर राज किया करते थे उनकी रानी का नाम केतु मति था। इनका पुत्र पवन अंजना का हम उम्र था। यद्यपि यह रंग से सांवला था तथापि वह एक शूरवीर योद्धा था जिसकी चर्चा आसपास की रियासतों में थी। अंजना उसके शौर्य से प्रभावित थी अतः उसने राजकुमार विद्युत पर्व जैसे सुन्दर राजकुमारों को छोड़कर पवन को अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया।

पवन और अंजना की शादी निश्चित हो जाती है। अगड़ पड़ोसिन इकठी होकर बान बैठा कर गीत गाती हैं तो कवि किस प्रकार से चित्रण करता है-

चाची ताई अगड़ पड़ोसन गीत गुवावण लागी
पवन भूप नै बान बैठा कै नायण नुहावण लागी।टेक

हल्दी तेल और जौ का आटा मिला कै बटना तैयार हुया
इत्र की खुशबों गेरी न्यू बहुत सा खुशबुदार हुया
ब्याह शादी की करी तैयारी कठ्ठा सब परिवार हुया
सती अंजना नै ब्याहण खातिर जती पवन कुमार हुया
नेग जोग की भाभी सारी नैन मटकावण लागी।

ओले पां मैं दई बांध राखड़ी सौले हाथ मैं नाला
स्याही घाली आख्या कै म्हां कट्या रूप का चाला
लोहे का दिया गज हाथ मैं होग्या ब्योत निराला
एक सोने की हंसली गल मैं जणुं ले रया चांद उजाला
बनड़ी लायक यो सुथरा बनड़ा न्यूं बतलावण लागी।

राजघरां का राज कंवर कुछ शादी का रंग न्यारा
बनड़े सेती करैं मस्करी वो सबनै लागै प्यारा
नुह्वा धवा कै बान बैठा कै काम बणा दिया सारा
बनड़े का रंग न्यारा चमकै जैसे भान दोफारा
छोटी बड़ी भाभी सारी मुंह कैड लखावण लागी।

ब्याह के रंग में हुई मग्न सब भरग्या प्रेम गात मैं
जिसा बनड़ा उसी बनड़ी पावै कोन्या फर्क बात मैं
भाई मित्र चाचा ताऊ जांगे सभी साथ मैं
लत्ते चाल पहर कै नये होंगे त्यार बरात मैं
कहै मेहर सिंह आधी रात नै बरात चढ़ावण लागी।