भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पसन्द अपनी-अपनी / व्लदीमिर मयकोव्स्की
Kavita Kosh से
घोड़े ने ऊँट को देखा
और हिनहिनाकर हँसा —
'ऐसा
बड़ा
अनोखा
होता है घोड़ा'
दिया ऊँट ने उत्तर—
'तुम क्या घोड़े हो
कतई नहीं हो
तुम तो केवल
बड़ा नहीं हो पाया
ऐसे ऊँट हो'
और सत्य तो केवल वही जानता
जो सर्वज्ञ विधाता
वे दोनों ही
भिन्न नस्ल के
मैमल थे
अँग्रेज़ी से अनुवाद : रमेश कौशिक