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पसु / रामस्वरूप किसान
Kavita Kosh से
पसुवां रौ
गोबर-मूत
भारै आदमी
क्यूंकै
बां रै
हाथ कोनी
दिमाग कोनी
आदमी रौ
गू-मूत भारै आदमी
क्यूंकै
हाथ अर दिमाग आळा
पसु ई मौकळा है अठै।