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पहचान मूल कुमाउनी कविता / नवीन जोशी ’नवेंदु’

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पहचान (मूल कुमाउनी कविता)

मूल कुमाउनी कविता :
मिहवा्क बोट में नाशपाति
आरुक बोट में खुमानि-कुशम्यारु
गुलाबा्क डा्व में
नौ-नौ रंगोंक फुल्यूड़
स्यैंणियोंक आंग मैंसोंक,
अर मैंसोंक आंड.
स्यैंणियों लुकुड़/मिजात....

धरम भबरी मैंस
कि छु कैकि असलियत
कि छु कैकि पछ्यांण...
को् जा्णूं ?
उं आफ्फी न जांणन
बस, ला्गि रयीं जमाना्क टंटन में
घ्येरी रयीं कंछ-मंछन में
पत्तै न्हें, कां हुं...
अर किलै जांणईं...।
पड़ि रै फिकर
छींक पुजण्ौकि
दुसरों कैं ध्वा्क दिंण्ौकि !
पत्तै न्है
क कैं दिंणई असल ध्वा्क।

पछ्यांण...हस्ति !
कतू सस्ति ?
लुकुड़,ज्वा्त/जुंड.-दाड़ि-बाव
बदइ,
बदइ जांण्ौ अस्ती •

बिकास ?
दुसरोंक जस करण-अदपुरै
पताव जांण-चांण अगास
असलियत ?
नि छी जब लुकुड़
कि पैद हुंण बखत
जा्स छियां नंग
आ्ब छन लुकुड़ै
दुसरोंकि हौंसि
हुंड़यां नंग।
कि यै छु हमैरि
पछयांण ?
हमर विकास ?
कि बचि रौ
हमूं में हमर चिनाड़  ?