भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पहचान / जलज कुमार अनुपम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हाथ में लाठी कान्हे गमछा
लमहर बाटे जेकर सान
जग-जहान में बाजे डंका
जान रहल बा हिन्दुस्तान
हमनी हईं उहे पुरुबिया
भोजपुरी आपन पहचान
गोरखनाथ, कबीर, कुवर सिंह
राजेन्दर, जेपी के गान
आन पर आवे सीना तान े
मंगल पांडे के स्वाभिमान
हमनी हईं उहे पुरुबिया
भोजपुरी आपन पहचान



बिरहा कजरी फगुआ चइता
जेकर ध्र ुपद करे बखान
भिखारी, महेंदर, धरीछन बाबा
कइलें आपन सब कुरबान
हमनी हईं उहे पुरुबिया
भोजपुरी आपन पहचान

रामायन से महाभारत ले
सब में बा हमनीं के सान
बीजक के दोहा में लउके
बढ़ल गुरुबानी में मान
हमनी हईं उहे पुरुबिया
भोजपुरी आपन पहचान ।