भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पहलि पहर राती बितल सब लोग सुतल रे / मैथिली

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पहलि पहर राती बितल सब लोग सुतल रे देवकी चलली नहाय कि दस सखी संग लागु रे
कियो सखी हाथ पैड माजथि कियो गगरी भरु रे
कियो ठार कदम तर नैना स नीर भरु रे
यशोमति हाथ पैर माजथि कौशल्या गगरी भरु रे देवकी ठाढ कदम तर नैना स नीर भरु रे
किये तोरा कन्त तुरन्त कयल किये दैव दुरि कयल रे
किये तोरे ठाढ कदम तर नैना स नीर बहु रे
सात पुत्र दैए देलनि कंस हरि लेलनि
आठम रहियऊ गर्भ स उनको नहिं भरोस थीक रे
चुप चुप रहु बहिन सहोदर अपन बालक हम भेजब आहांक जोइयायेब रे


यह गीत श्रीमती रीता मिश्र की डायरी से